बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शारीरिक शिक्षा - खेलकूद चोटें एवं कायिक चिकित्सा बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शारीरिक शिक्षा - खेलकूद चोटें एवं कायिक चिकित्सासरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शारीरिक शिक्षा - खेलकूद चोटें एवं कायिक चिकित्सा - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 4
आसन और अवधारणा
(Posture and Concept)
प्रश्न- आसन से आप क्या समझते हैं? अच्छे आसन की उपयोगिता की विवेचना कीजिए।
अथवा
आसन क्या है?
उत्तर -
आसन का अर्थ
मुद्रा या आसन केवल एक शारीरिक दशा नहीं है, उत्तम आसन हम उसे मानते हैं जिसमें शरीर को साधने के लिए कोई विशेष प्रयास न करना पड़े और उसका भार दोनों टांगों तथा पैरों पर एक समान वितरित हो ताकि थकान नहीं हो। यह मनः स्थिति भावों को भी परिलक्षित करती है, यह केवल शरीर की नहीं बल्कि मानसिक अभिवृत्तियों को व्यक्त करती है।
शरीर को किसी विशेष स्थिति में साधने को आसन कहते हैं। एक अच्छा आसन वह होता है, जिसमें शरीर के सभी अंग ठीक ढंग से काम कर सकें। सभी अंग विश्राम की अवस्था में हों और तनाव से पूर्णतया मुक्त हों। इस प्रकार आसन किसी व्यक्ति द्वारा विशिष्ट स्थिति में बैठना, खड़े होना, चलना, भागना, सोना तथा विशिष्ट आकृति के धारण करने को कहते हैं। उचित आसन स्वस्थ और पुष्ट शरीर का तथा अनुचित आसन अस्वस्थ और अपुष्ट शरीर का परिचायक है।
शारीरिक आसन दो प्रकार के होते हैं-
(1) उचित आसन,
(2) अनुचित आसन।
अच्छे आसन को विभिन्न विद्वानों ने अपने ढंग से परिभाषित किया है। श्री ऐवरी के मतानुसार, “अच्छे आसन का अर्थ उस स्थिति से है, जिसमें शरीर इस प्रकार संतुलित रहता है कि वह कम से कम थकान अनुभव करता है।'
डॉ. मैथिनी के कथनानुसार, “प्रत्येक व्यक्ति के लिए सबसे उत्तम आसन वह है, जिसमें शरीर के अंग कम से कम दबाव तथा अधिक से अधिक आराम की स्थिति में सन्तुलित रहते हैं। "
जब हम चलते हैं, बैठते हैं, खड़े होते हैं, दौड़ते हैं या कार्य करते हैं तब यदि हम प्राकृतिक सन्तुलन बनाए रखते हैं तो हमारा आसन उत्तम व उचित है, जब सह- सन्तुलन किसी बीमारी, थकान, दोषपूर्ण या अनुचित है। अनुचित आसन में सिर, छाती से आगे की ओर झुक जाता है व छाती चपटी हो जाती है। पेट बाहर निकल आता है, कन्धे झुक जाते हैं, पैर चपटे हो जाते हैं, घुटने आपस में रगड़ खाते हैं, आँखें दूषित हो जाती हैं तथा आकार बदल जाता है।
अच्छा आसन स्वास्थ्य, आत्मविश्वास एवं दृढ़ता का प्रतीक है जबकि अनुचित आसन से अस्वस्थता, निराशावादिता, व्यग्रता तथा उदासीनता का बोध होता है।
उचित व अनुचित आसन का ज्ञान - उचित तथा अनुचित आसन का ज्ञान हम नीचे दिए गये चित्र की सहायता से करा सकते हैं। इसे पलम्ब लाइन टेस्ट कहते हैं। यदि एक (लम्बाकार) पलम्ब लाइन या सीधी रेखा शरीर की एक तरफ खींची या गिराई जाए तो वह सिर के ऊपर केंद्र भाग से आरम्भ होती है फिर कानों के पास से गुजरती है कन्धे को छूती हुई, कूल्हे की हड्डी के मध्य से गुजरती हुई घुटने के जोड़ों के मध्य से गुजर कर गिटों की हड्डी पर गिरती है। यदि लाइन अंगों से सीधी गुजरती है तो आसन उचित है यदि इन अंगों से नहीं गुजरती तो अनुचित आसन है।
अच्छे आसन की उपयोगिता - एक अच्छे व उचित आसन की उपयोगिता व महत्व एक व्यक्ति की आकृति, कार्यक्षमता और शारीरिक स्वास्थ्य के साथ सम्बन्धित है-
(1) आकृति - हर व्यक्ति स्वयं को अधिक से अधिक आकर्षक व सुन्दर दिखाना चाहता है। स्कूलों में, कॉलेजों में, क्लबों में, विवाह समारोह व अन्य सामाजिक उत्सव आदि में हर पुरुष व नारी इन अवसरों पर आकर्षक बनने का प्रयत्न करता है। इसके लिए वह कपड़ों, नवीनतम फैशन व सौन्दर्य प्रसाधनों आदि पर अच्छा खर्च करता है। बेशक ये सभी चीजें किसी पुरुष या महिला को आकर्षक बनाने में अपनी प्रभावी भूमिका निभाती हैं, किन्तु स्वयं शरीर का योगदान मुख्य आधार होता है। ऐसे किसी भी व्यक्ति को आकर्षक नहीं माना जाएगा जिसका आसन उचित नहीं है।
(2) गति क्षमता - जब तक शरीर के सभी अंगों का ताल-मेल व संतुलन सही नहीं होगा, तब व्यक्ति की गति क्षमता भी सक्रिय रूप से कार्य नहीं करेगी और थकान तथा शारीरिक ऊर्जा नष्ट होती रहेगी। खेलों में खिलाड़ी की शारीरिक मुद्रा उसे कार्य करने में महत्त्वपूर्ण योगदान देती है। इन गतिविधियों में उसको स्वयं एक विशेष अवस्था में झुकना, मुड़ना, दौड़ना, कूदना व अपने आपको संतुलन में रखना पड़ता है। यदि खिलाड़ी का उचित या अच्छा आसन है तो शरीर का संतुलन तथा प्रत्येक अंग उसके सही स्थान पर रहेंगे, पेशियाँ अपना विशिष्ट काम करती रहेंगी क्योंकि गति क्षमता शरीर के जोड़ों की गति व माँसपेशियों का आपसी सन्तुलन का परिणाम होती है और यह सिर्फ अच्छे आसन में सम्भव है।
(3) शारीरिक क्षमता - माँसपेशियों की दृढ़ता, क्षमता, सहनशीलता और परिसंचरण क्षमता, स्फूर्ति, शक्ति, गति, शारीरिक पुष्टि के आधारभूत तत्त्व हैं, माँसपेशियों की शक्ति से अभिप्राय उस अधिकतम शक्ति से है, जो एक माँसपेशीय संकुचन में लगती है, जैसे पकड़ने की शक्ति, माँसपेशीय सहनशीलता इस कार्य को चालू रखने की क्षमता से है, शारीरिक क्षमता या पुष्टि से अर्थ उस शरीर से है, जो निरोग तथा श्रम से अधिक संतृप्त न हो। अनुचित आसन आन्तरिक अंगों, शिराओं और रक्तवाहिनी शिराओं को नष्ट कर देता है तथा अंगों के सह-संतुलन को प्रभावित करता है, जिससे शरीर की ऊर्जा नष्ट होती है और थकान का अनुभव होता है।
(4) आध्यात्मिक महत्व - शारीरिक पुष्टि व सुयोग्यता से आत्मा का भी उत्थान होता है। कोई भी व्यक्ति झुके कंधों, कूबड़ी पीठ व झुकी हुई गर्दन के साथ सूर्योदय के सौंदर्य का लुत्फ नहीं उठा सकता ज्यादा देर तक प्राणायाम की मुद्रा में नहीं बैठ सकता, साधना व अभ्यास नहीं कर सकता। ये सभी अनुचित साधन की देन हैं, जो उसे सांसारिक व आध्यात्मिक कार्यों से दूर ले जाती हैं।
(5) स्वास्थ्य सम्बन्धी महत्व - सीधे सधे हुए शरीर के अंग सुचारू, सम तथा सह- सहयोग से एकलय होकर बिना किसी श्रान्ति के संचालित होते हैं जिससे शारीरिक क्रियाएँ, दोष रहित ढंग से सम्पूर्ण होती है। उचित आसन स्वास्थ्य आत्मविश्वास एवं दृढ़ता का प्रतीक है, जबकि अनुचित आसन अस्वस्थता, निराशावादिता, व्यग्रता तथा उदासीनता का बोध कराता है।
(6) आर्थिक महत्त्व - अच्छा आसन शरीर के अंदर विद्यमान आत्मा को दर्शाता है, उसकी शारीरिक व मानसिक स्थिति का आइना होता है। किसी व्यवसाय या नौकरी के योग्य होना या उसे प्राप्त करना इस बात पर निर्भर करता है कि हम अपने शरीर को कैसे साधते हैं, उसकी शारीरिक व मानसिक कार्य क्षमता कितनी है। हमारी कार्यशैली व सतर्कता हमारे कार्य करने की क्षमता व ढंग से ही प्रकट होती है, अतः अच्छा आसन आजीविका कमाने व परिवार का भार उठाने में सक्षमता प्रदान करता है।
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- प्रश्न- प्राथमिक सहायक (चिकित्सक) के कर्त्तव्यों का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- प्राथमिक उपचार का अर्थ एवं परिभाषा स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्राथमिक सहायता से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्राथमिक सहायता की आवश्यकता व महत्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्राथमिक सहायता के क्षेत्र का उल्लेख कीजिए।
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- प्रश्न- प्राथमिक चिकित्सक के गुणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राथमिक चिकित्सक की प्राथमिकताएँ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- हड्डी उतरने पर प्राथमिक चिकित्सा पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- W.H.O. पर टिप्पणी लिखिए।
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- प्रश्न- अनुचित आसन के प्रमुख कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अग्रकुब्जता या धँसी हुई कमर विकृति पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणियाँ लिखिए
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- प्रश्न- सामान्य मुद्रा में सुधार के उपायों का वर्णन कीजिये?
- प्रश्न- अनुचित मुद्रा क्या है? इसके लक्षण बताइये।
- प्रश्न- पुनर्वास को परिभाषित करते हुए इसके उद्देश्य एवं क्षेत्र की व्याख्या कीजिए।
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- प्रश्न- शीत चिकित्सा पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- पुनर्वास क्या है? पुनर्वास काउंसिल ऑफ इंडिया का रोल स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- चोट पुनर्वास के लक्ष्य स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पट्टियों के प्रकार की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- टैपिंग क्या है? इसके उद्देश्य, और सिद्धान्तों का संक्षेप में वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- इलास्टिक चिकित्सीय टेप क्या है?
- प्रश्न- कायिक चिकित्सा' शब्द को परिभाषित कीजिए और इसके सहायक सिद्धान्तों को विस्तार से लिखिए।
- प्रश्न- शारीरिक शिक्षा के क्षेत्र में 'कायिक चिकित्सा' का क्या महत्त्व है?
- प्रश्न- कायिक चिकित्सा का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कायिक चिकित्सा के महत्त्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रतिरोधी व्यायाम को स्पष्ट करते हुए इसकी तकनीकी का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मालिश से क्या समझते हैं? मालिश के सामान्य विचारों के बारे में संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मालिश के प्रकार को दर्शाते हुए किन्हीं चार प्रकारों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- मालिश के निम्न प्रकारों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए-
- प्रश्न- मालिश का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- मालिश के संक्षिप्त इतिहास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रगड़ पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मालिश के रक्त संचरण व पेशी तंत्र पर पड़ने वाले प्रभाव को लिखिए।
- प्रश्न- मालिश के सिद्धान्त पर टिप्पणी लिखिए। मालिश के सिद्धान्त क्या हैं?
- प्रश्न- मालिश के प्रतिषेध से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- खेलों में मालिश पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- जल चिकित्सा का अर्थ एवं इसका उपयोग स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शीत चिकित्सा या क्रायोथ्रेपी से आप क्या समझते हैं? शीत चिकित्सा की उपचार तकनीक और इलाज में उपयोग एवं प्रभाव की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- थर्मोथैरेपी उपचार के परिचय और प्रदर्शन के बारे में लिखिए।
- प्रश्न- थर्मोथैरेपी पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सौना स्नान का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ठंडा और गर्म स्नान पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- 'भंवर स्नान' चिकित्सा विधि का उल्लेख कीजिए।
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- प्रश्न- पराबैंगनी किरणों से आप क्या समझते हैं? परागबैंगनी किरणों के द्वारा उपचार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विद्युत चिकित्सा पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अल्प तरंग डायथर्मी का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- इन्फ्रारेड किरणों का लाभ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शार्ट वेव डायथर्मी के उपयोग को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- उपचारिक व्यायाम के क्षेत्र और वर्गीकरण की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- उपचारिक व्यायाम को परिभाषित कीजिए और इसके सिद्धान्तों एवं नियमों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मांसपेशियों के पुनर्वास और मजबूती के लिये योग आसन के साथ चिकित्सीय महत्व का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- योग में पुनर्वास क्या है? समझाइये?
- प्रश्न- उपचारिक व्यायाम के विभिन्न उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- उपचारिक व्यायामों का प्रभाव स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रतिरोधी व्यायाम से आप क्या समझते हैं? प्रतिरोधी व्यायाम की तकनीक को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मुक्त व्यायाम की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पुनर्वास क्या है इसकी आवश्यकता किन रोगों में होती है?
- प्रश्न- योग हमारे जीवन को किस प्रकार प्रभावित करता है?
- प्रश्न- ताड़ासन का संक्षेप में वर्णन कीजिये?
- प्रश्न- कुक्कुटासन की विधि और लाभ वर्णन कीजिये।